CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा की नियुक्ति में भी कांग्रेस के खड़गे कड़ा विरोध कर रहे थे.! और अभी उसे हटवाने का भी कड़ा विरोध किया कांग्रेसी खड़गे ने.?.! आखिर क्यों.???

माड़_रैबार

इसलिए सेलेक्शन कमिटी ने CBI चीफ आलोक वर्मा को पद से हटाया…. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय सेलेक्शन कमिटी ने आखिरकार CBI चीफ आलोक वर्मा को क्यों हटाया? इस सवाल का जवाब देश की खुफिया एजेंसी RAW द्वारा पकड़ी गई टेलिफोन बातचीत में छिपा है। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में … Continue reading माड़_रैबार

गरीबों के आरक्षण पर विपक्ष और मीडिया के प्रायोजित प्रहारों का जवाब, अब जानिये सच ! https://www.inreportcard.in/news-list-detail.aspx?opedid=1586 यह आर्थिक रूप से कमज़ोर श्रेणी को मोदी सरकार 10% आरक्षण देने जा रही है। इतना तो आप भी जानते होंगे कि यह आरक्षण सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में दिया जा रहा है, लेकिन इस पर कई भ्रांतियां भी फैलाई जा रही है।      कई लोग इस ऐतिहासिक निर्णय की आलोचना कर रहे हैं, आलोचना के पीछे उनके अपने तर्क हैं, वह कुछ सवाल भारत की सरकार से भी पूछ रहे हैं। जैसे अधूरा ज्ञान हमेशा खतरनाक होता है, ठीक उसी प्रकार अधूरी जानकारी रखने वाले लोग भी काफी खतरनाक होते हैं। एक पार्टी के प्रति उनका रोष इतना है कि शायद वह इस सच्चाई को देखना नहीं चाहते कि इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को संजीवनी मिली है। इससे पहले कि हम शुरू करें, दो दिन पहले हमने आपको लखनऊ के निवासी मृदुल की कहानी बताई थी। आप यहाँ पढ़ सकते हैं कि कैसे यह निर्णय मृदुल के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने वाला है। इस निर्णय के बाद जो मुख्य भ्रांतियाँ फैलाई जा रही हैं, आज हम उसकी सच्चाई आपको बताएंगे। जैसा कि कहा गया है कि झूठ के पाँव नहीं होते, वो कहीं भी उड़ कर सत्य से पहले पहुंच सकता है। यही चीज़ इस मामले में भी नज़र आ रही है। जब से यह खबर सामने आई है, तब से तथाकथित क्रांतिकारी लोगों का कहना है कि इसमें बहुत सी दिक्कतें हैं। सरकार कंफ्यूज़ कर रही है। जबकि असली बात यह है कि वो स्वयं कन्फ्यूज़ हैं। तो आइए एक- एक कर इन भ्रांतियों को दूर करते हैं। ◆ पहला : 5 लाख कमाने वालों को 20% टैक्स भरना पड़ता है वहीं 8 लाख कमाने वालों को सरकार द्वारा गरीब बताया जा रहा है। आरक्षण के लाभ की तुलना कुछ लोग टैक्स रिबेट के लाभ से भी कर रहे हैं। सच्चाई : सबसे पहली बात यह कि 8 लाख की सीमा प्रति व्यक्ति नहीं बल्कि प्रति परिवार है। यानी एक परिवार के सभी सदस्यों की आय जोड़ने के बाद 8 लाख से ऊपर नहीं होना चाहिए। वहीं टैक्स व्यक्तिगत आय पर भरा जाता है। इस सच्चाई से अनजान लोग बाकी जनता को भी भ्रमित कर रहे हैं। अब इसी से समझ लीजिए कि इस भ्रांति को फैलाने वाले ने पूरी तैयारी की ही नहीं है। झूठ साफ पकड़ा गया। मृदुल जैसे न जाने कितने ही आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार होंगे जिनको इस आरक्षण से लाभ मिलने वाला है। अब कुछ लोग जिस इनकम टैक्स रीबेट से होने वाले लाभ की बात कर रहे हैं, उसकी अगर गणना की जाए तो वह लाभ कुछ हजार से अधिक नही होगा। अतः उस रिबेट का सरकार के इस कदम के द्वारा दिये जा रहे लाभ से तुलना करना तर्कहीन होगा। क्योंकि इस आरक्षण से जानें कितने ही मृदुल जैसे युवाओं की पीढ़ियों तक का भविष्य बदल जायेगा। याद करें कि मृदुल के साथ कौन सी समस्याएं थी। उसके पास न तो नौकरी थी और न ही उसकी स्थिति आर्थिक रूप से मज़बूत थी। उसके साथ ही उसको अपने छोटे भाई को बड़े कॉलेज में भी पढ़ाना था। अब इस आरक्षण के कारण उसे न सिर्फ नौकरी में अवसर मिल सकता है अपितु वह अपने छोटे भाई को भी अच्छे कॉलेज में पढ़ा पायेगा। अब जो लोग इस बड़े फायदे को कुछ हजार रुपयों के तराज़ू पर तौल रहे हैं, या तो वह जानबूझकर अंजान बन रहे हैं या फिर उन्होंने उन पीड़ाओं को नहीं झेला है जिससे निकल कर मृदुल जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चे आते हैं। ◆ दूसरा : यह आरक्षण पहले से आरक्षण का लाभ उठा रहे लोगों से छीनकर दिया जा रहा है। सच्चाई : पहले से मौजूद आरक्षण में किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। पहले से मौजूद 50% आरक्षण को छुआ भी नहीं गया है। यही तो मुख्य कारण है कि संविधान संशोधन बिल लाया गया है। इसके अंतर्गत 10% अतिरिक्त आरक्षण की व्यवस्था करने का कार्य हुआ है। इसका सीधा सा मतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने ‘सबका साथ, सबका विकास’ वाले नारे को चरितार्थ किया है।  ◆ तीसरा : यह एक भीख से कम कुछ नहीं है। सच्चाई : क्या आपके द्वारा अपने माता-पिता के लिए किया गया कार्य उनके लिए भीख है? क्या आपके बच्चों द्वारा आपके लिए किया गया कार्य भीख है? नहीं, बिल्कुल भी नहीं। उल्टा यह आपका कर्तव्य है। बस यही चीज़ सरकार पर भी लागू होती है। सरकार का कर्तव्य होता है उनको सहायता देना जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं। यदि आपने मृदुल की कहानी पढ़ी होगी तो आपको पता होगा कि आर्थिक रूप से कमज़ोर होने के कारण उसको कितना संघर्ष करना पड़ा। इस हिसाब से देखा जाए तो यह सरकार का कर्तव्य बनता था कि मृदुल को सुविधाएं मुहैय्या कराए। देश के एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के कारण यह मृदुल का अधिकार था, वही सरकार ने उसको दिया। अब इसको भीख बताने वालों को एक बार कल सदन में हुकुमदेव जी का भाषण सुनना चाहिए। ◆ चौथा : आरक्षण खत्म करने की जगह उसको बढ़ावा दिया जा रहा है। सच्चाई : याद करिये मंडल कमंडल की वो राजनीति जहां से वी.पी. सिंह का उदय हुआ था। देश भर में आरक्षण की जो लड़ाई अगड़ा-पिछड़ा पर के बीच चली थी, उसका फायदा मुलायम और लालू यादव जैसे नेता उठा ले गए। स्थिति यह हो गयी कि सामान्य वर्ग का व्यक्ति इससे पूरी तरह से चिढ़ चुका था। 2 दशक के बाद इस जातिगत आरक्षण के अलावा किसी ने आर्थिक दृष्टि से भी लोगों को देखने की बात की है। यह अपने आप में ऐतिहासिक है। दरअसल देश भर में आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को जिस प्रकार से आरक्षण ने पीछे किया था, उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। इसका सबसे बड़ा असर सामान्य वर्ग के लोगों पर पड़ा था। सामान्य वर्ग के युवाओं में निराशा और हताशा का माहौल साफ तौर पर देखा जा सकता था। अब इस एक बड़े निर्णय ने उनके लिए नए अवसरों के दरवाजे खोल दिये हैं। आरक्षण खत्म करना है या नहीं, इसका निर्णय खुद उन जातियों द्वारा किया जाना ज़्यादा बेहतर होगा जो अपनी आने वाली पीढ़ी के भविष्य के बारे में सोचते हैं। अब पहली बार किसी नेता ने आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोगों को भी आरक्षण की बात करी है। उस नेतृत्व के हिम्मत की सराहना करनी चाहिए। इसको आप आरक्षण को बढ़ावे के तौर पर नहीं, अपितु आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों की बेहतरी के लिए लिये गये एक साहसिक निर्णय की तरह लीजिये। सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रांतियों से आप बचे। इतने सालों बाद आपके अधिकारों के लिए बात करने वाला कोई नेतृत्व देश पर शासन कर रहा है। इन भ्रांतियों में फंसकर इस मौके को हाथ से न जाने दें। मृदुल जैसे बहुत से परिवार बहुत उम्मीदों के साथ इस नेतृत्व को देख रहे हैं। सरकार भी सदन से यह बिल पास करवा रही है।

हमारा हिमालय 🌲🌴🌷🌹🌼🌺🍁 ================ हमें मालूम है कि ‘हिमालय’ बिल्कुल अलग क्षेत्र है, इसकी ‘भौगोलिक’ और ‘सामरिक’ चुनौतियां पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। हजारों मेगावाट बिजली को पैदा करने वाला क्षेत्र आज भी अंधेरे की गुमनामी में खोया हुआ है। हिमालय में हजारों मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है, मैं सोचता हूँ कि असम से लेकर मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड, अरूणाचल प्रदेश, हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर को देखा जाए तो ये हजारों मेगावाट बिजली पैदा करते हैं और हजारों जल विद्युत परियोजनायें अभी भविष्य की कोख मे हैं। ऐसे हिमालयी क्षेत्र के लिए अलग से एक ‘ऊर्जा की नीति’ होनी चाहिए। कम से कम जो ऊर्जा देता है, वह अंधेरे में ना भटके…..🙏

भारतीयों द्वारा वोट देने का पैटर्न एक दम साफ है उससे वर्तमान सरकार को सबक सीखना चाहिये… – भारतीय मतदाता, फिस्कल डेफिसिट नही समझता और उसे, कोई मतलब नही कि ये 2.4% रहे चाहे 3.4%. उन्हें सब्सिडी और फ्री-बी (मुफ्त देने की योजना) की भी समझ नही। उन्हें तो ये भी नही पता कि सब्सिडी … Continue reading

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